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ग़ज़ल
सब कुछ झूट है लेकिन फिर भी बिल्कुल सच्चा लगता है
जान-बूझ कर धोका खाना कितना अच्छा लगता है
दीप्ति मिश्रा
ग़ज़ल
जुनूँ ही से मगर बिल्कुल दिल-ए-दीवाना ख़ाली है
न मानूँगा असर से ना'रा-ए-मस्ताना ख़ाली है
मौलाना मोहम्मद अली जौहर
ग़ज़ल
कुछ इस क़दर मैं ख़िरद के असर में आ गया हूँ
सिमट के सारा का सारा ही सर में आ गया हूँ